किम जोंग ने अपने जिस विशेष दूत को गोलियों से छलनी करवा दिया था, वह मरा नहीं जिंदा है

सियोल। एक दक्षिण कोरियाई समाचार पत्र की रिपोर्ट को खारिज करते हुए सीएनएन ने मंगलवार को बताया कि एक उत्तर कोरियाई राजनयिक जीवित है और राज्य की हिरासत में है. इससे पहले रिपोर्ट में कहा गया था कि उत्तर कोरिया के राजनयिक को फायरिंग दस्ते द्वारा मौत की सजा के तहत गोली मार दी गई.

31 मई को दक्षिण कोरिया के सबसे बड़े रूढ़िवादी दैनिक समाचार पत्र चोसुन इल्बो ने बताया कि उत्तर कोरिया के विशेष दूत किम ह्योक-चोल को मार्च में फायरिंग दस्ते द्वारा मार दिया गया था. समाचार पत्र ने बताया था कि जिन वरिष्ठ अधिकारियों को प्योंगयांग के नेता किम जोंग-उन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच फरवरी में हुई दूसरी शिखर बैठक के टूटने का कारण माना गया, किम ह्योक-चोल उनमें से एक थे. सूत्रों ने सीएनएन को बताया कि किम ह्योक-चील की असफल हनोई शिखर बैठक में उनकी भूमिका के लिए जांच की जा रही है.

इसमें आगे कहा गया है कि हनोई में किम जोंग-उन के अनुवादक किम सोंग-हाइ को भी हिरासत में रखा गया है और वह भी जांच के दायरे में हैं.

उल्‍लेखनीय है कि इससे पहले मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया था कि  उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुए दूसरे शिखर सम्मेलन के ‘विफल’ रहने के बाद उत्‍तर कोरिया इससे इतना तिलमिला गया था कि उसने अमेरिका में अपने विशेष दूत को मौत को घाट उतार दिया था. दक्षिण कोरिया के एक अखबार ने शुक्रवार को यह दावा किया था.

दक्षिण कोरियाई समाचार पत्र चोसुन इल्बो के मुताबिक, किम ह्योक चोल, जिन्होंने हनोई वार्ता की आधारशिला रखी और किम जोंग के साथ उनकी निजी ट्रेन में सफर किया था, को फायरिंग दस्‍ते द्वारा गोलियों से भून दिया गया था. उत्‍तर कोरिया का मानना है कि इस बैठक की विफलता को लेकर उन्‍होंने “सर्वोच्च नेता के साथ विश्वासघात” किया था.

अखबार ने एक अज्ञात सूत्र के हवाले से बताया था, “किम ह्योक चोल को मार्च में मिरिम हवाई अड्डे पर चार वरिष्ठ विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ एक जांच के बाद मौत के घाट उतार दिया गया.” अन्य अधिकारियों के नाम नहीं बताए गए. किम ह्योक चोल फरवरी में हनोई शिखर सम्मेलन के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि स्टीफन बेजगुन के समकक्ष थे.

हालांकि दक्षिण कोरिया के एकीकरण मंत्रालय, जो अंतर-कोरियाई संबंधों को देखता है, ने इस रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उल्‍लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन के बीच शिखर सम्मेलन बिना किसी समझौते के समाप्त हुआ था. वॉशिंगटन द्वारा आर्थिक प्रतिबंधों में राहत देने की प्योंगयांग की मांग को खारिज किए जाने के बाद शिखर सम्मेलन समाप्त हुआ था.

किम के साथ दो दिवसीय शिखर सम्मेलन तय समय से पहले खत्म कर देने के बाद वियतनाम की राजधानी में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा था कि वह उत्तर कोरिया नेता के साथ परमाणु निरस्त्रीकरण समझौते पर हस्ताक्षर करने से पीछे हट गए, क्योंकि वे प्योंगयांग पर से आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने के लिए समझौते पर नहीं पहुंच सके थे. वियतनाम के हनोई में दोनों नेताओं के बीचहुआ दूसरा शिखर सम्मेलन सिंगापुर में इनके बीच की बैठक के आठ महीने बाद हुआ था.

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