नहीं बदलेगा जम्मू-कश्मीर का सियासी नक्शा, परिसीमन से गृह मंत्रालय का इनकार!

नई दिल्ली। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के गृह मंत्रालय संभालते ही जम्मू-कश्मीर में नए सिरे से परिसीमन की कवायद शुरू होने की अटकलें लगने लगीं. इससे न केवल सियासी सरगर्मी बढ़ गई, बल्कि पीडीपी मुखिया महबूबा मुफ्ती ने विरोध भी शुरू कर दिया. अब सूत्रों के हवाले से खबर है कि गृह मंत्रालय में फिलहाल ऐसी कोई कवायद नहीं चल रही. गृह मंत्री अमित शाह की बैठक में भी परिसीमन को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई. वहीं ऐसा कोई प्रस्ताव भी गृह मंत्रालय के किसी टेबल पर नहीं है.

दरअसल अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद से मीडिया में खबरें आईं थीं कि केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर में परिसीमन कराने की तैयारी में है. इन अटकलों को जोर तब मिला, जब अमित शाह ने गृह मंत्रालय संभालने के बाद जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के साथ बैठक भी की. इस लिहाज से माना जा रहा था कि मिशन कश्मीर उनका खास टारगेट है.

खबरें आईं थीं कि स्थानीय बीजेपी नेता जम्मू-कश्मीर में परिसीमन चाहते हैं. इसके लिए वे राज्यपाल को पत्र लिखकर भी मांग उठा चुके हैं. जम्मू-कश्मीर बीजेपी के अध्यक्ष कवींद्र गुप्ता ने भी कहा था कि वह राज्यपाल को परिसीमन के लिए लिख चुके हैं, ताकि जम्मू, कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र के साथ न्याय हो.

क्या चाहते हैं बीजेपी नेता

जम्मू-कश्मीर में 111 विधानसभा सीटें हैं. फिलहाल 87 सीटों पर ही चुनाव होते हैं. इसकी वजह यह है कि संविधान के सेक्शन 47 के मुताबिक 24 सीटें खाली रखी जाती हैं. दरअसल, खाली 24 सीटें पाक अधिकृत कश्मीर के लिए छोड़ी गईं थीं. सूत्र बता रहे हैं कि स्थानीय बीजेपी नेता चाहते हैं कि ये खाली 24 सीटें जम्मू क्षेत्र के खाते में जोड़ दी जाएं, जिससे उसे फायदा हो. क्योंकि 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी यहां कुल 37 में से 25 सीटें जीत चुकीं हैं. इस नाते जम्मू में बीजेपी का दबदबा माना जाता है.

कब हुआ था आखिरी परिसीमन

जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार 1995 में परिसीमन हुआ था. यूं तो राज्य के संविधान के मुताबिक जम्मू कश्मीर में हर 10 साल के बाद परिसीमन होना था. मगर तत्कालीन सीएम फारुक अब्दुल्ला ने 2002 में इस पर 2026 तक के लिए रोक लगा दी थी. देश के अन्य राज्यों में 2002 की जनगणना के आधार पर परिसीमन हो चुका है. मगर जम्मू-कश्मीर इससे अछूता है.

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