नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में करारी हार के सदमें से जूझ रही कांग्रेस पार्टी शायद अब नेहरु-गांधी परिवार से अलग नेताओं के बारे में बताने से भी कतराने लगी है. कांग्रेस से जुड़ा ताजा विवाद पार्टी की वेबसाइट में पूर्व कांग्रेस अध्यक्षों के नामों को लेकर है. कांग्रेस के अध्यक्ष रहे नेताओं की लिस्ट में से दिवंगत अध्यक्ष सीताराम केसरी का नाम नहीं है. सीताराम केसरी बिहार के पिछड़े वर्ग से आते थे. केसरी साल 1996 से 1998 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे. लेकिन पार्टी वेबसाइट में पूर्व अध्यक्षों की लिस्ट में उनका नाम नहीं है.
बता दें कि राजीव गांधी के निधन के बाद पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे. सितम्बर 1996 में नरसिंह द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद सीताराम केसरी के हाथ में कांग्रेस की कमान सौंपी गई थी. केसरी मार्च 1998 तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. केसरी के बाद पार्टी की कमान सोनिया गांधी ने संभाली थी.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘9 मार्च 1998 को केसरी ने इस्तीफे की घोषणा कर दी, लेकिन कुछ ही मिनटों के बाद उन्होंने अपना मन बदल लिया. केसरी ने दावा किया कि उन्होंने तो इस्तीफ़े के बारे में सिर्फ़ मंशा ज़ाहिर की थी. हालांकि सभी प्रमुख अखबारों ने उनके हवाले से छापा था कि केसरी ने इस्तीफा दे दिया है. सीडब्ल्यूसी की बैठक हुई, केसरी ने बैठक के मिनिट्स पर आपत्ति जताई. केसरी उस वक्त बुरी तरह उखड़ गए, जब मुखर्जी ने पार्टी प्रमुख के रूप में उनकी सेवाओं के लिए उन्हें धन्यवाद दिया और सोनिया गांधी को पद संभालने का प्रस्ताव पेश किया.’
बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में आगे लिखा, ‘दोपहर के वक्त कमेटी ने औपचारिक रूप से अध्यक्ष की कुर्सी सोनिया को दे दी. आनन-फानन में केसरी की नेमप्लेट हटा दी गई और इसे कूड़ेदान में फेंक दिया गया. अध्यक्ष पद से हटाए गए केसरी जब 24, अकबर रोड को छोड़कर जा रहे थे, तभी यूथ कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने उनकी धोती खींचने की भी कोशिश की. हालांकि सोनिया गांधी समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को इसकी जानकारी नहीं थी, लेकिन ये पल बेहद घिनौने और दर्दनाक थे क्योंकि केसरी स्वतंत्रता सेनानी और कट्टर कांग्रेसी थे.’