नई दिल्ली। यूपी नेताओं के साथ लोकसभा चुनाव के नतीजों की समीक्षा करते हुए बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने बड़ा बयान दिया है. मायावती ने कहा है कि गठबंधन से चुनाव में अपेक्षित परिणाम नहीं मिले हैं. उन्होंने दावा किया कि यादव वोट ट्रांसफर नहीं हो पाया है. लिहाजा, अब गठबंधन की समीक्षा की जाएगी. इतना ही नहीं मायावती ने यहां तक कह दिया कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अपनी पत्नी और भाई को भी चुनाव नहीं जिता पाए हैं. सूत्रों के मुताबिक, मायावती के इस रुख के बाद सपा-बसपा गठबंधन टूट की कगार पर नजर आ रहा है.
बीएसपी प्रमुख मायावती ने सोमवार को दिल्ली में चुनावी हार की समीक्षा की. 2019 लोकसभा चुनाव में बीएसपी को संतोषजनक सीटें न मिलने और कुछ प्रदेशों में करारी हार को लेकर मायावती ने पार्टी कार्यकर्ताओं की अखिल भारतीय स्तर पर मीटिंग बुलाई. यूपी के सभी बसपा सांसदों और जिलाध्यक्षों के साथ बैठक में मायावती ने कहा कि पार्टी सभी विधानसभा उपचुनाव में लड़ेगी और अब 50 फीसदी वोट का लक्ष्य लेकर राजनीति करनी है. मायावती ने ईवीएम में धांधली का भी आरोप लगाया.
बैठक से पहले उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती से नवनिर्वाचित बसपा सांसद राम शिरोमणि वर्मा ने ईवीएम घोटाले का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि लंबे पैमाने पर घोटाला हुआ है. हम लोग पहले से कह रहे हैं कि बैलेट पेपर से चुनाव होना चाहिए, जिसे ना तो चुनाव आयोग मान रहा है, ना सरकार मान रही है. हम चाहते हैं कि बैलेट पेपर से चुनाव कराया जाए, जो निष्पक्ष हो. बहनजी जो भी दिशा निर्देश देंगी, हम उसका पालन करेंगे.
छह राज्यों के चुनाव प्रभारियों की छुट्टी
बीएसपी प्रमुख मायावती ने सोमवार को पार्टी के नवनिर्वाचित सांसदों, जोन इंचार्ज और जिलाध्यक्षों को बैठक में शामिल होने का निर्देश दिया है. इसमें जिला के पार्टी अध्यक्षों के अलावा वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्र भी मौजूद हैं. पार्टी के अन्य कई वरिष्ठ नेता भी बैठक में हिस्सा ले रहे हैं. इससे पहले रविवार को मायावती ने छह राज्यों के लोकसभा चुनाव प्रभारियों को हटा दिया. इसके साथ ही उन्होंने तीन राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों को भी पद से बेदखल कर दिया.
मायावती ने उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, राजस्थान, गुजरात और ओडिशा के लोकसभा चुनाव प्रभारियों को हटा दिया है. इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली और मध्य प्रदेश के बीएसपी अध्यक्षों को भी पद से बेदखल कर दिया. सोमवार को बीएसपी सुप्रीमो यूपी के जोन प्रभारियों और जिलाध्यक्षों के साथ ही लोकसभा प्रत्याशियों और नवनिवार्चित सांसदों के साथ बैठक करेंगी.
बीएसपी ने इस बार के लोकसभा चुनाव में 2014 के मुकाबले भले ही बेहतर प्रदर्शन करते हुए 10 सीटें जीती हैं लेकिन उम्मीद के मुताबिक गठबंधन को कम सीटें मिली हैं. माना जा रहा है कि सोमवार की बैठक में संगठन में फेरबदल को लेकर अहम फैसला हो सकता है. पार्टी सूत्रों की मानें तो मायावती के रडार पर प्रदेश के 40 समन्वयक और जोनल समन्वयक हैं, जिन पर गाज गिर सकती है. बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में बीएसपी को अनुमान से बहुत कम सीटें मिली हैं. इसके चलते मायावती काफी नाराज हैं.
गौरतलब है कि 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से बीएसपी का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है. हालत यह हो गई कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी खाता भी नहीं खोल सकी थी. इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी महज 19 सीटें ही जीत सकी थी. इस बार के लोकसभा चुनाव में सपा से गठबंधन के बावजूद बीएसपी मात्र 10 सीटें ही जीत सकी. बीएसपी अब, लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी काम करने वालों के खिलाफ एक्शन मोड में आ गई है. बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है.