आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप टूर्नामेंट का उद्घाटन मैच मेजबान इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका के बीच लंदन के ‘द ओवल’ मैदान पर खेला जा रहा है. साउथ अफ्रीका ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का फैसला किया है और इंग्लैंड को बल्लेबाजी का न्योता दिया है. मेजबान टीम ने इस मैच के लिए मार्क वुड, टॉम कुरेन, जेम्स विंस और लियाम डॉसन को बाहर बैठाया. दक्षिण अफ्रीका ने भी क्रिस मॉरिस, डेल स्टेन, तबरेज शम्सी और डेविड मिलर को मौका नहीं दिया है.
इंग्लैंड जानती है कि यह उसका वर्ल्ड कप जीतने का सुनहरा मौका है और इसलिए वह किसी भी लापरवाही से बचते हुए अपने अभियान की शुरुआत जीत के साथ करना चाहेगी. इंग्लैंड ने एक बार भी क्रिकेट वर्ल्ड कप नहीं जीता है.
इंग्लैंड
इंग्लैंड का अगर पिछला वर्ल्ड कप देखा जाए तो वह बेहद निराशाजनक रहा था. टीम ग्रुप दौर से ही बाहर हो गई थी, लेकिन इयोन मोर्गन की कप्तानी वाली इस टीम ने उसके बाद जबरदस्त सुधार किया है.
इंग्लैंड को अब वह टीम माना जाता है जिसके लिए किसी भी लक्ष्य को हासिल करना मुमकिन है. बीते दो साल में इस टीम ने जितने हाई स्कोरिंग मैच खेले हैं, उतने शायद किसी और टीम ने नहीं खेले होंगे. टीम की गेंदबाजी भी दमदार है. इंग्लैंड ने बीते ढाई साल में कोई भी दो से ज्यादा मैचों वाली सीरीज नहीं गंवाई है.
वर्ल्ड कप के अपने पहले अभ्यास मैच में बेशक उसे ऑस्ट्रेलिया से हार मिली थी लेकिन यह मैच काफी करीबी रहा था. इसके बाद उसने अपने दूसरे अभ्यास मैच में अफगानिस्तान को मात दी थी.
बाकी टीमें इस बात को बखूबी जानती हैं कि अभ्यास मैच इंग्लैंड की सही सीरत नहीं बताते हैं क्योंकि जब टूर्नामेंट शुरू होगा तब इंग्लैंड की बल्लेबाजी में गहराई अलग होगी. टीम के पास जॉनी बेयरस्टो, जेसन रॉय जैसे सलामी बल्लेबाज हैं.
इन दोनों के अलावा मौजूदा समय के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में गिने जाने वाले जो रूट टीम को स्थिरता देते हैं. कप्तान मोर्गन, फॉर्म में चल रहे जोस बटलर और हरफनमौला खिलाड़ी बेन स्टोक्स तथा मोइन अली मध्य और निचले क्रम में तेजी से रन बनाने के लिए विख्यात हैं.
एक खासियत इंग्लिश बल्लेबाजों की यह है कि यह सभी तेजी से रन बटोरने के अलावा विकेट पर जमने का दम रखते हैं. यह सभी जानते हैं कि स्थिति के हिसाब से कैसे खेलना है. अमूमन देखा जाता है कि जो आक्रामक बल्लेबाज होते हैं, उनके साथ इस बात का जोखिम होता है कि वह कभी भी अपना विकेट खो सकते हैं लेकिन इंग्लैंड के बल्लेबाजों के साथ ऐसा नहीं है. यह सभी इतने परिपक्व बल्लेबाज हैं कि विकेट पर टिक कर तेजी से रन बना सकते हैं.
इंग्लैंड की गेंदबाजी उतनी मजबूत नहीं है जितनी उसकी बल्लेबाजी है लेकिन जोफरा आर्चर के आने से उसे बल मिला है. आर्चर की प्रतिभा की दुनिया कायल है. उनके अलावा टीम में लियाम प्लंकेट, मार्क वुड, क्रिस वोक्स, टॉम कुरेन पर तेज गेंदबाजी की जिम्मा होगा.
दक्षिण अफ्रीका
अगर दक्षिण अफ्रीका की बात की जाए तो उसके लिए टूर्नामेंट से पहले बुरी खबर आई है. टीम के अनुभवी तेज गेंदबाज डेल स्टेन कंधे में चोट के कारण पहले मैच से बाहर हो गए हैं. स्टेन के अलावा टीम के पास कैगिसो रबाडा और लुंगी एनगिडी जैसे गेंदबाज हैं जिन्होंने अभ्यास मैच में अच्छा किया है. यह दोनों भी चोटों से परेशान रहे हैं. टीम प्रबंधन उम्मीद करेगा कि इस विश्व कप में यह तीनों फिट रहें.
खिताब के पास जाकर भी हार जाने के कारण चोकर्स के नाम से मशहूर इस टीम के पास बेहतरीन गेंदबाजी आक्रमण है, लेकिन बल्लेबाजी में गहराई नहीं है. कप्तान फाफ डु प्लेसिस के अलावा युवा क्विंटन डि कॉक टीम के मुख्य बल्लेबाज हैं. हाशिम अमला खराब फॉर्म से जूझ रहे हैं.
टीम के पास एडिन मार्कराम, डेविड मिलर, जेपी डुमिनी, एडिल फेहुलक्वायो, रैसी वान डेर डुसैन हैं लेकिन निरंतरता की कमी इन सभी के साथ चलती आई है. मिलर और डुमिनी के पास अनुभव है लेकिन यह दोनों उस तरह का प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं जिसकी उम्मीद की जाती है.
प्लेइंग इलेवन:
इंग्लैंड: इयोन मॉर्गन (कप्तान), जेसन रॉय, जो रूट, जॉनी बेयरस्टो (विकेटकीपर), मोइन अली, बेन स्टोक्स, जोस बटलर, जोफरा आर्चर, लियाम प्लंकेट, आदिल राशिद, क्रिस वोक्स.
दक्षिण अफ्रीका: फाफ डु प्लेसिस (कप्तान), हाशिम अमला, एडिन मार्कराम, क्विंटन डि कॉक (विकेटकीपर), जेपी डुमिनी, रासी वैन डेर डुसैन, कैगिसो रबाडा, लुंगी एनगिडी, इमरान ताहिर, एडिल फेहलुक्वायो, ड्वयान प्रीटोरियस.