बेंगलुरु। लोकसभा चुनावों में मिली करारी शिकस्त के चलते कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस- जेडीएस गठबंधन का संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. कांग्रेस विधायक दल की बैठक में दो विधायक रमेश जरकीहोली और आर रोशन बेग शामिल नहीं हुए. वहीं, दो अन्य विधायकों – रामलिंगा रेड्डी और बयराती बासवराज- ने बैठक में शरीक नहीं होने की इजाजत ली थी. प्रदेश कांग्रेस इकाई ने मौके की नजाकत को भांपते हुए विधायक काम्पली गणेश का निलंबन निरस्त कर दिया है. दरअसल, जनवरी में एक रिजार्ट में पार्टी के एक सहकर्मी से हुए कथित विवाद के बाद वह कार्रवाई का सामना कर रहे थे.
कांग्रेस ने संकट से उबरने की कोशिश के तहत विधायक दल की बैठक की. राज्य कैबिनेट में विस्तार पर चर्चा करने के लिए वरिष्ठ नेता एवं मंत्री गुरुवार को एक बैठक करेंगे. गठबंधन को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए यहां भेजे गए कांग्रेस महासचिव केसी. वेणुगोपाल ने मुख्यमंत्री कुमारस्वामी, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों से मुलाकात की. साथ ही, वह बीजेपी की जोड़ तोड़ की कोशिशों से गठबंधन को बचाने के लिए विधायक दल की एक बैठक में भी शामिल हुए.
कांग्रेस विधायक दल के नेता और कांग्रेस-जेडीएस समन्वय समिति प्रमुख सिद्धरमैया ने कहा कि कांग्रेस छोड़ कर कोई नहीं जाएगा और कहीं कोई असंतोष नहीं है. उन्होंने कांग्रेस विधायक दल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, “हम सभी साथ हैं. यह मजबूत सरकार है और बनी रहेगी. यदि बीजेपी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश करती है तो वे लोग (बीजेपी के नेता) सबसे बड़े बेवकूफ होंगे.” बैठक में कांग्रेस के 72 विधायक शामिल हुए जबकि दो बागी विधायक रमेश जरकीहोली और आर रोशन बेग इसमें शामिल नहीं हुए. वहीं, दो अन्य विधायकों – रामलिंगा रेड्डी और बयराती बासवराज- ने बैठक में शरीक नहीं होने की इजाजत ली थी. रमेश का बीजेपी नेताओं से मिलना जुलना बढ़ने से यह संकेत मिल रहा था कि वह पार्टी छोड़ सकते हैं जबकि बेग पार्टी नेतृत्व का उपहास कर रहे थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना कर रहे थे.
वरिष्ठ नेता मंत्री पद छोड़ने को तैयार नहीं
कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस प्रमुख दिनेश गुंडु राव ने कहा कि कैबिनेट विस्तार के लिए बैठक पर चर्चा करने के लिए वरिष्ठ नेता एवं मंत्री गुरवार को मिलेंगे. असंतोष को दूर करने के लिए यह समाधान तलाशा गया है. सूत्रों के मुताबिक, बैठक में नेताओं के बीच इस पर कोई आम राय नहीं बन पाई कि तीन खाली पदों को भर कर कैबिनेट विस्तार किया जाए या कुछ मंत्रियों को इस्तीफा दिलवा कर एवं कुछ असंतुष्ट विधायकों को मंत्री बनाकर कैबिनेट में फेरबदल किया जाए. सूत्रों ने बताया कि कई वरिष्ठ मंत्री अपना पद छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. इसकी वजह से कैबिनेट फेरबदल में काफी मुश्किल आएगी.