नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में शाम 7 बजे दूसरी बार शपथ लेंगे. उनके इस शपथ ग्रहण समारोह को भव्य बनाने की पूरी तैयारी की जा चुकी है. इस शपथ ग्रहण समारोह में 4 देशों के राष्ट्रपति, 3 देशों के प्रधानमंत्री एक विशेष दूत शामिल होंगे. इसके अलावा देश की ज्यादातर पार्टियों के प्रमुख भी इसमें हिस्सा लेंगे. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी के अलावा दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्री इस समारोह में शामिल होंगे.
इस बीच इसको लेकर रहस्य बना हुआ है कि चार प्रमुख प्रभार गृह, वित्त, रक्षा और विदेश किसे मिलेंगे. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों को राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में शपथ दिलाएंगे. इस मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित शीर्ष विपक्षी नेता, उद्योग जगत के दिग्गज, फिल्मी सितारे, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री और बिम्सटेक सदस्य देशों के नेता मौजूद रहेंगे.
जिन 4 देशों के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे, उनमें बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद अब्दुल हमीद, श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना, किर्गिजिस्तान के राष्ट्रपति सूरोनबे जीनबेकोव और म्यांमार के राष्ट्रपति यू विन मिंट शामिल हैं. तीन देशों के प्रधानमंत्री भी इस शपथग्रहण में शामिल होंगे. मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, भूटान के प्रधानमंत्री डॉ लोते शेरिंग भी शपथ ग्रहण समारोह का हिस्सा होंगे.
रिजल्ट घोषित होने के बाद अब तक दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जीत की बधाई दे चुके हैं. इनमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू जैसे नेता उन्हें बधाई दे चुके हैं.
इस बीच, मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने लगातार दूसरे दिन बुधवार को एक लंबी बैठक की. ऐसा समझा जाता है कि इस बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने नये मंत्रिमंडल की व्यापक रूपरेखा तय की. उम्मीद की जा रही है कि नये मंत्रिमंडल में अधिकतर वरिष्ठ मंत्रियों को बरकरार रखने के अलावा कुछ नये चेहरों को भी शामिल किया जाएगा.
यद्यपि इसको लेकर अटकलें हैं कि शाह नयी सरकार का हिस्सा हो सकते हैं और उन्हें एक प्रमुख प्रभार दिया जा सकता है. शाह को भाजपा की रणनीति बनाने का श्रेय दिया जाता है. हालांकि उन्हें केंद्र में मंत्री पद देने के संबंध में कोई स्पष्टता नहीं है. ऐसी भी अटकलें हैं कि शाह भाजपा अध्यक्ष बने रह सकते हैं क्योंकि कुछ प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव अगले एक वर्ष में होने हैं.