नई दिल्ली। कल की तारीख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ऐतिहासिक अवसर है. आजादी के बाद अपनी पार्टी को लगातार पूर्ण बहुमत दिलाने वाले कल दूसरे प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं नरेंद्र मोदी. प्रचंड जीत के महानायक मोदी के शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. शपथ ग्रहण समारोह के लिए रायसीना पहाड़ी पर जमीन से लेकर आसमान तक सुरक्षा के भी अभेद्य इंतजाम किए जा रहे हैं. इंतजाम लगभग वैसे ही हैं जैसे गणतंत्र दिवस समारोह के लिए किए जाते हैं. सेना, वायुसेना से लेकर दिल्ली पुलिस तक कई घेरों की सुरक्षा व्यवस्था समारोह के लिए मुकम्मल हो रही है.
शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे 6000 लोग
कार्यक्रम के मुताबिक पीएम मोदी 30 मई को शाम 7 बजे राष्ट्रपति भवन में पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे. पीएम मोदी के साथ उनके मंत्रिमंडल के बाकी सदस्य भी शपथ लेंगे. शपथ ग्रहण से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के समाधि स्थल पर भी जाएंगे. प्रधानमंत्री के शपथ कार्यक्रम को देखते हुए कल वायु भवन, सेना भवन, रेल भवन डीआरडीओ, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक के दफ्तरों में दोपहर दो बजे ही छुट्टी घोषित की गई है. शपथ ग्रहण समारोह की वजह से राजपथ, राष्ट्रपति भवन, नार्थ, और साउथ ब्लॉक के दफ्तरों की छुट्टी कल दोपहर 2 बजे होगी. केंद्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने इसकी सूचना जारी की है.
बताया जा रहा है कि ये राष्ट्रपति भवन में अब तक का सबसे बड़ा कार्यक्रम होगा जिसमें करीब 6000 लोग हिस्सा ले सकते हैं. मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में बिम्सटेक समूह के नेता, शंघाई सहयोग संगठन के वर्तमान अध्यक्ष, किर्गिस्तान के राष्ट्रपति और मॉरिशस के प्रधानमंत्री उपस्थित रहेंगे. जानकारी के मुताबिक कुल 14 देशों के राष्ट्राध्यक्ष दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में शपथ ग्रहण के गवाह बनेंगे.
समारोह में शामिल होंगे मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी समेत कई विपक्षी नेता
जिन विपक्षी नेताओं को आमंत्रित किया गया है उनमें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी और आप प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शामिल हैं. सूत्रों ने कहा कि सभी मुख्यमंत्रियों, राज्यपालों, पूर्व प्रधानमंत्रियों और पूर्व राष्ट्रपतियों को कार्यक्रम के लिए न्योता भेजा गया है. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगी.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पीएम मोदी के शपथ ग्रहण में शामिल होंगे. बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कल शपथ ग्रहण समारोह में आने की बात कही थी लेकिन आज उन्होंने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर मना कर दिया. बता दें कि पीएम मोदी ने अपने शपथ ग्रहण में 16 जून 2013 से 26 मई 2019 के बीच बंगाल हिंसा में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ताओं के 54 परिवारवालों को भी न्यौता दिया है. ममता बनर्जी के शपथ ग्रहण में ना आने के पीछ यही बड़ी वजह मानी जा रही है, ममता बनर्जी ने इसका जिक्र अपनी चिट्ठी में भी किया है.
जहां एक ओर पीएम मोदी के शपथग्रहण में दुनियाभर के तमाम नेता शामिल हो रहे हैं वहीं पाकिस्तान को निमंत्रण ना भेजकर पीएम मोदी एक बार फिर बड़ा कूटनीतिक दांव खेला है. शपथग्रहण का निमंत्रण ना मिलने से पाकिस्तान बौखला गया और अब ये बात जगजाहिर हो चुकी है. दरअसल पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि न्यौते की उम्मीद करना बेवकूफी है. कुरैशी ने कहा, ”मोदी का पूरा ध्यान चुनाव प्रचार के दौरान पाकिस्तान पर निशाना साधने में रहा. ऐसे में उनका तुरंत अपनी बात से मुकरना संभव नहीं है. वेबकूफी होता आमंत्रण की उम्मीद करना.” मोदी ने 2014 में शपथ ग्रहण समारोह के लिए पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सहित सभी दक्षेस नेताओं को आमंत्रित किया था.
बता दें कि आजाद भारत के इतिहास का चौथा मौका है जब प्रधानमंत्री राष्ट्रपति भवन के खुले प्रांगण में हिस्सा लेंगे. प्रधानमंत्री मोदी (पहला कार्यकाल) के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर और अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्रपति भवन के खुले प्रांगण में शपथ ली थी. शपथ ग्रहण के लिए सबसे पसंदीदा स्थल राष्ट्रपति भवन का दरबार हॉल है. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भी दरबार हॉल में ही शपथ ली थी और ऐतिहासिक भाषण दिया था. बता दें कि दरबार हॉल की क्षमता सिर्फ 500 व्यक्तियों की है, इसीलिए इतने बड़े स्तर पर हो रहे शपथ ग्रहण के लिए खुले प्रांगण को चुना गया है. शपथ ग्रहण के कार्यक्रम की जिम्मेदारी एक विशेष मंत्री समूह के कंधों पर है, इसमें संसदीय कार्य मंत्रालय, सूचना प्रसारण मंत्रालय और शहरी विकाल मंत्रालय शामिल हैं.
बीजेपी और एनडीए संसदीय दल का सर्वसम्मति से नेता चुने गए नरेंद्र मोदी को शनिवार को राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नामित करते हुए केंद्र में नई सरकार बनाने का न्यौता दिया था. भारतीय जनता पार्टी और इसकी अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से मोदी को सर्वसम्मति से नेता चुने जाने के बाद मोदी सरकार बनाने का दावा पेश करने शनिवार रात राष्ट्रपति भवन गए थे. साथ ही, शनिवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति से मुलाकात की थी. इस प्रतिनिधिमंडल में प्रकाश सिंह बादल, राजनाथ सिंह, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान, सुषमा स्वराज, उद्धव ठाकरे, नितिन गडकरी, के पलानीसामी, कोनराड संगमा और नेफियू रियो शामिल थे.
मोदी बीजेपी के ऐसे पहले नेता हैं जिन्हें प्रधानमंत्री के रूप में पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद दूसरी बार भी इस पद के लिए चुना गया है. साथ ही जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद मोदी पूर्ण बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता के शिखर पर पहुंचने वाले तीसरे प्रधानमंत्री हैं. बीजेपी से अटल बिहारी वाजपेयी भी लगातार दो कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री चुने गए थे लेकिन उनका पहला कार्यकाल सिर्फ एक साल सात महीने का रहा था. 543 सदस्यीय लोकसभा के लिये हाल ही में हुए चुनाव में बीजेपी नीत एनडीए के 353 सांसद निर्वाचित हुए हैं. इनमें बीजेपी के 303 सांसद हैं.