महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने कहा है कि उन्होंने अपने कैरियर में कभी ‘शार्टकट ’ नहीं लेने की अपने पिता की सलाह पर हमेशा अमल किया और अब यही सलाह उन्होंने अपने बेटे को दी है. सचिन के बेटे अर्जुन तेंदुलकर ने हाल ही में टी20 मुंबई लीग खेला जिसमें बल्ले और गेंद दोनों से अच्छा प्रदर्शन किया. उसे आकाश टाइगर् मुंबई पश्चिम उपनगर टीम ने पांच लाख रूपये में खरीदा था. उसने शनिवार को वानखेड़े स्टेडियम पर सेमीफाइनल भी खेला.
यह पूछने पर कि क्या वह अपने बेटे को दबाव का सामना करने के लिये कोई सीख देते हैं, सचिन तेंदुलकर ने कहा ,‘मैंने कभी उस पर किसी चीज के लिये दबाव नहीं डाला. मैने उस पर क्रिकेट खेलने का दबाव नहीं बनाया. वह पहले फुटबाल खेलता था, फिर शतरंज और अब क्रिकेट खेलने लगा.’
उन्होंने कहा, ‘मैने उससे यही कहा कि जीवन में जो भी करो, शार्टकट मत लेना. मेरे पिता (रमेश तेंदुलकर) ने भी मुझे यही कहा था और मैने अर्जुन से यही कहा. तुम्हे मेहनत करनी पड़ेगी और फिर तुम पर निर्भर करता है कि कहां तक जाते हो.’ उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि दूसरे माता पिता की तरह वह भी चाहते हैं कि उनका बेटा अच्छा प्रदर्शन करे.
भारतीय टीम को 30 मई से इंग्लैंड एंड वेल्स में शुरू होने वाले विश्व कप के खिताब का प्रबल दावेदार माना जा रहा है, लेकिन टीम की जीत इस बात पर भी निर्भर करेगी कि विराट कोहली की कप्तानी प्रतियोगिता में कितनी प्रभावशाली साबित होती है. इंडियन प्रीयिमर लीग (आईपीएल) में हालांकि विराट की कप्तानी की बहुत आलोचना हुई, लेकिन महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर भारतीय कप्तान के पक्ष में हैं.
तेंदुलकर ने कहा, “मैं समझता हूं कि हमें आईपीएल और भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलने की तुलना नहीं करनी चाहिए. दोनों अलग-अलग प्रारूप हैं, एक टी-20 है जिसमें आपकी टीम में कई विदेशी खिलाड़ी हैं और दूसरा ऐसा प्रारूप है जहां आपकी टीम में सभी भारतीय खिलाड़ी हैं. इसलिए हमें दोनों की तुलना नहीं करनी चाहिए. जाहिर तौर पर जब बात कप्तानी पर आती है तो विराट पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.”
उन्होंने यह भी माना कि अनुभवी महेंद्र सिंह धोनी को रोल विकेट के पीछे अहम होगा और कोहली के लिए यह बहुत अच्छी बात है कि उनके पास इतना अनुभवी खिलाड़ी है.
तेंदुलकर ने कहा, “धोनी का विकेट के पीछे खड़े होने का अनुभव टीम की बहुत मदद करेगा क्योंकि उस स्थान पर खड़े होकर वह सबकुछ अच्छे से देख सकते हैं. वहां खड़े होकर, वह पूरे मैदान को उसी तरह देख सकते हैं जिस तरह से एक बल्लेबाज देखता है. उनकी राय महत्वपूर्ण होंगे क्योंकि उन्हें पता होगा कि पिच कितनी अच्छी या बुरी है, क्या गेंद रुक आ रही है या यह बल्ले पर अच्छे से आ रही है. जो भी स्थिति हो, वह इसे कप्तान और गेंदबाज के साथ भी साझा करेंगे. इसलिए किसी अनुभवी खिलाड़ी का विकेट के पीछे होना हमेशा मददगार होता है.”