इस्लामाबाद। भारत के साथ हर कूटनीतिक क्षेत्र में मुंह की खाने के बाद अब पाकिस्तान अपने देश में भी अजीत डोवाल जैसा अधिकारी नियुक्त करना चाहता है. इमरान खान सरकार के सूत्रों के हवाले से पाकिस्तानी मीडिया में खबर है कि अब वहां भी भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल की तरह ही कोई एनएसए नियुक्त किया जाए. बता दें कि साल 2018 अगस्त में पदभार संभालने के बाद से प्रधानमंत्री इमरान खान ने सभी लंबित मुद्दों पर शांति वार्ता की बहाली के लिए भारत से संपर्क साधने की बार-बार कोशिश की, लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चलेंगे.
इसलिए इमरान खान की अगुवाई वाली पाकिस्तान सरकार भारत के साथ पर्दे के पीछे की कूटनीति की बहाली के वास्ते राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) की नियुक्ति पर सक्रियता से गौर कर रही है. आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी.
एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार (एनएसए की नियुक्ति की सुगबुगाहट से जुड़े) सूत्रों ने बताया कि एनएसए की संभावित नियुक्ति का मतलब भारत के साथ पर्दे के पीछे की कूटनीति को बहाल करना है ताकि परमाणु शक्ति संपन्न दोनों पड़ोसियों के बीच अहम मुद्दों पर कोई बात बने.
दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंध जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को जैश ए मोहम्मद के आत्मघाती हमले के बाद सबसे निचले पायदान पर चले गए थे. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे. इस हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में जैश ए मोहम्मद के ट्रेनिंग कैंपों पर हमला किया था.
भारत में अब करीब-करीब चुनाव पूरा हो जाने के बाद पाकिस्तान सरकार इन विकल्पों पर विचार कर रही है कि भारत के साथ वार्ता कैसे बहाल की जाए. पाकिस्तान मानता है कि भारत में चुनाव के बाद नई सरकार इमरान खान की शांति वार्ता पेशकश पर सकारात्मक रुख दिखाएगी. जब पाकिस्तान के अधिकारी से इस कटुतापूर्ण माहौल में वार्ता की बहाली की संभावना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आशावादी है.
अधिकारी ने कहा कि इस आशा के पीछे वजह यह है कि चाहे सत्तारूढ़ बीजेपी की सरकार बने या कांग्रेस की, नई सरकार के चुनाव पूर्व रुख पर नहीं चलने की संभावना है. विकल्पों में से एक विकल्प भारत के साथ पर्दे के पीछे की कूटनीति को बहाल करने के लिए एनएसए की नियुक्ति है. अतीत में दोनों देशों ने वार्ता की जमीन तैयार करने के लिए एनएसए के माध्यम से पर्दे के पीछे की इस कूटनीति का अक्सर इस्तेमाल किया.
वर्ष 2015 में पाकिस्तान के एनएसए लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) नसीर खान जंजुआ और उनके भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल गतिरोध दूर करने में अहम रहे.