नई दिल्ली। काफी लंबे समय से राजनीतिक पार्टियां इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर सवाल उठाती आई हैं. हर बार चुनाव के दौरान विपक्षी पार्टियां इसकी विश्वसनीयता पर शक करती रही हैं. पार्टियो के इन्हीं सवालों के जवाब के तौर पर चुनाव आयोग वीवीपैट (वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) मशीन लेकर आई थी.
वीवीपैट मशीन ईवीएम के साथ अटैच रहती है और जब मतदाता वोट डालता है तो ईवीएम के साथ-साथ वीवीपैट में पर्ची के तौर पर भी वोट दर्ज होता है. चुनाव आयोग के नियम के मुताबिक हर विधानसभा के पांच पोलिंग बूथ (रैंडम तरीके से चुना गया कोई भी बूथ) के वीवीपैट का मिलान ईवीएम में पड़े वोट से करना ज़रूरी है.
हालांकि इसको लेकर भी एक अहम सवाल ये उठता रहा है कि अगर ईवीएम में पड़े वोटों की गिनती और वीवीपैट के पर्चियों के मिलान के बाद कुछ गड़बड़ी पाई जाती है, तो ऐसी स्थिति में चुनाव आयोग क्या करेगा? क्या वहां फिर से चुनाव कराए जाएंगे. या फिर ईवीएम और वीवीपैट में से किसी एक की गिनती को सही मान लिया जाएगा.
इस सवाल का जवाब भी चुनाव आयोग ने दे दिया है. चुनाव आयोग के मुताबिक अगर वोटों के मिलान के दौरान कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो वीवीपैट की पर्चियों की गिनती के बाद नतीजा तय किया जाएगा.
चुनाव आयोग ने अपने आदेश में कहा है, “ईवीएम में दर्ज वोटों की गिनती और वीवीपैट के पर्चियों की गिनती के बाद वोटों के मिलान के दौरान अगर कोई खामी नज़र आती है तो उस विशेष ईवीएम के वीवीपैट की पर्चियों को दोबारा गिना जाए और अगर फिर भी गड़बड़ी बनी रहती है, तो नतीजा प्रिंटेड पेपर स्लिप यानि पर्चियों की गिनती के आधार पर तय हो. इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी कराई जाए.”
चुनाव आयोग के मुताबिक आखिरी दौर की गिनती के तुरंत बाद मतगणना केंद्र पर वीवीपैट के पर्चियों की गिनती शुरु की जानी चाहिए. आपको बता दें कि पोलिंग बूथ के चुनाव के बाद किन मशीनों के वोटों का मिलान होना है ये भी ड्रॉ के ज़रिए तय होता है. आयोग के मुताबिक, “ड्रॉ के लिए पोलिंग बूथ के रैंडम सेलेक्शन को लेकर रिटर्निंग अधिकारी को राजनैतिक पार्टियों और उनके एजेंट को लिखित में सूचना देनी होगी.”