लखनऊ। गोरखपुर के दक्षिणांचल में एक गांव है, जिसका नाम मामखोर है, मामखोर का जिक्र इसलिये इन दिनों हो रहा है, क्योंकि सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस गांल को अचानक ही पूरी दुनिया में सुर्खियों में ला दिया है, दरअसल गोरखपुर से चुनाव लड़ रहे भोजपुरी सुपरस्टार रवि किशन के पूर्वज चिल्लूपार के मामखोर गांव के ही रहने वाले हैं, ये साबित करने के लिये रवि किशन खुद मामखोर गांव गये थे और वहां की मिट्टी को माथे से लगाया, साथ ही दुर्गा मंदिर में पूजा-अर्चना कर जीत का आशीर्वाद लिया।
श्रीप्रकाश शुक्ला का जन्म
वैसे आपको ये भी बता दें कि रवि किशन के जन्म के दो साल बाद यानी साल 1973 में इसी गांव में एक और शुक्ल परिवार में बेटे ने जन्म लिया था, जिसका नाम रखा गया था श्रीप्रकाश शुक्ला, कहा जाता है कि इस गांव के कई ब्राह्मण अलग-अलग गांवों में जाकर बस गये हैं, जिनमें से एक रविकिशन का भी परिवार है।
श्रीप्रकाश के शौक
मामखोर गांव और गोरखपुर में पले-बढे श्रीप्रकाश शुक्ला को बचपन से ही पहलवानी का शौक था, लंबी-चौड़ी कद काठी वाले इस नौजवान की उम्मीदों ने भी उड़ान के सपने देखे थे। लेकिन कुछ ऐसा हुआ, जिससे वो अपराधी बन गया, जी हां, श्रीप्रकाश रंगबाज बन गया, बताया जाता है कि बहन की छेड़खानी की घटना से आहत श्रीप्रकाश ने साल 1993 में राकेश तिवारी नाम के युवक की गोली मार हत्या कर दी थी, इसके बाद बिहार के माफिया सूरजभान सिंह की मदद से वो बैंकॉक भाग गया।माफिया बन गया
जून 1998 में श्रीप्रकाश शुक्ला ने बिहार के मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की गोली मारकर हत्या कर दी थी, इसके कुछ दिनों बाद ही उसने मोतिहारी विधायक अजीत सरकार की हत्या कर दी, कहा तो ये भी जाता है, कि श्रीप्रकाश ने यूपी के तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह की हत्या की सुपारी ले ली थी, इस घटना के बाद ही सरकार ने तुरंत ने आनन-फानन में एसटीएफ का गठन किया था, जिसके बाद 23 सितंबर 1998 को दिल्ली के पास गाजियाबाद के इंदिरापुरम में पुलिस मुठभेड़ में श्रीप्रकाश शुक्ला को मार गिराया गया था।लाखों रुपये खर्च किये
श्रीप्रकाश शुक्ला यूपी और बिहार पुलिस के लिये चुनौती बनता जा रहा था, यूपी पुलिस ने उसे पकड़ने के लिये खास एसटीएफ का गठन किया था, उस समय मोबाइल ट्रैक करना काफी महंगा पड़ता था, इसके बावजूद श्रीप्रकाश को पकड़ने के लिये पुलिस ने लाखों रुपये खर्च किये थे, श्रीप्रकाश पर कुछ फिल्में भी बनीं, अब भोजपुरी सुपरस्टार के इस गांव से जुड़ने के बाद एक बार फिर मामखोर गांव सुर्खियों में है।