फ्रांसीसी विमान से। भारत और फ्रांस ने शुक्रवार को हिन्द महासागर में अपने सबसे बड़े नौसैन्य युद्धाभ्यास में भाग लिया. इस युद्धाभ्यास में राफेल की रफ्तार भी दिखाई दी. ये एयरक्राफ्ट जल्द ही भारत आने वाला है, लेकिन इसके सौदे को लेकर देश में राजनीतिक तूफान मचा हुआ है. इधर दोनों देश इस वक्त सबसे बड़ा नौसेनिक अभ्यास कर रहे हैं. दरअसल, भारत और फ्रांस, चीन के बढते आर्थिक प्रभाव तथा दक्षिण चीन सागर में तनाव पैदा करने वाले इसके क्षेत्रीय दावों को लेकर चिंतित हैं.
फ्रांस के बेड़े की कमान संभाल रहे रियर एडमिरल ऑलिवियर लेबास ने कहा, ‘हमें लगता है कि हम इस क्षेत्र में ज्यादा स्थिरता ला सकते हैं जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है और जिसमें विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय कारोबार को लेकर बहुत कुछ दांव पर लगा हुआ है.’ एशिया और यूरोप एवं पश्चिमी एशिया के बीच ज्यादातर कारोबार समुद्र के जरिये होता है.
#WATCH: French fighter aircraft Rafale being recovered onboard French Navy's aircraft carrier FNS Charles de Gaulle, during ongoing Indo-French naval exercise 'Varuna', in the Arabian Sea. pic.twitter.com/pZe4dNtyXZ
— ANI (@ANI) May 10, 2019
भारत के गोवा राज्य के तट पर 17वें सालाना युद्धाभ्यास में भाग लेने वाला करीब 42 हजार टन का ‘चार्ल्स डि गॉले’ कुल 12 युद्धपोतों और पनडुब्बियों में से एक है. दोनों देशों के छह-छह युद्धपोत और पनडुब्बियां इसमें भाग ले रहे हैं. फ्रांस के अधिकारियों का कहना है कि यह युद्धाभ्यास 2001 में शुरू हुए इस अभियान का अब तक का सबसे व्यापक अभ्यास है.