अरविंद कुमार सिंह
पत्रकार से माफी मांगिए अखिलेश यादव जी. समाजवादी पार्टी का नेता वैचारिक रूप से इतना कमजोर होगा कि पत्रकारों के सवालों पर हत्थे से उखड़ जाएंगा। अखिलेश जी! आप तो बहुत शालीन थे। आप एक पत्रकार के सवाल से इतना विचलित हो गए कि अपना आपा ही खो दिए।
क्या पत्रकारिता आप जैसे नेताओं की चेरी है, जो आप के अनुसार नर्तन करेगी। अफसोस! पत्रकारिता को ये नेता कितनी मौत मारेगे। क्या सवाल नेताओं के अनुकूल करना ही पत्रकारिता है? तो धिक्कार है ऐसी पत्रकारिता और ऐसी सोच की जिसमें एक साथी के अपमान पर लोगो ने शर्मनाक और खतरनाक चुप्पी ओढ़ ली।
अखिलेश जी, अगर अपने पिता मुलायम सिंह यादव जी से ही सीख लेते तो पत्रकार को यूँ अपमानित नहीं करते। आप के पास किसी सवाल का जवाब नहीं था तो उत्तर ना देने का विकल्प तो आप लोगों के पास हमेशा ही रहता है। हम तो लज्जित हैं कि आज पत्रकारिता को मरघट ले जाकर छोड़ दिया गया है। अगर अब भी हम मुँह सिल कर बैठे रहे तो पत्रकारिता यूँ ही मरती रहेगी।
और हाँ, अखिलेश जी! हम समाजवादी विचारधारा के पत्रकार हैं लेकिन मुलायम और अखिलेशवादी नहीं। शायद लोहिया की किताब को सही ढंग से नहीं पढ़ा होगा, नहीं तो एक मान्यता प्राप्त पत्रकार को छोडो़, किसी अदने पत्रकार का भी अपमान करने से पहले सौ बार सोचते। आखिर पत्रकारिता को कब तक लोग गली का कुत्ता बना कर रखते रहेंगे? सवाल तो यह है। यह हमारे पत्रकार भाई राघवेन्द्र प्रताप सिंह का अपमान नहीं बल्कि पत्रकारिता का अपमान है, जिसे आप ने पार्टी कार्यालय के प्रेसवार्ता में किया।
सवाल कोई हो, अगर जवाब नहीं हो तो जवाब नहीं देते लेकिन किसी पत्रकार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बुलाकर अपमान करना सर्वथा पत्रकारिता का अपमान है। अब सवाल भी नेताओं के अनुकूल पूछे जाएंगे?
Anil Singh : ये एक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. इनकी भाषा और पत्रकार से बात करने की शैली देखिये. हालांकि इसके लिये केवल ये ही नहीं आज की पत्रकारिता और पत्रकार भी उतने ही जिम्मेदार हैं. सुनिये कैसे लोक सेवा आयोग में अनिल यादव की नियुक्ति के सवाल पर बौखला गये. टोटी के सवाल पर तो उखड़ जाते.
आजमगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह और अनिल सिंह की एफबी वॉल से