भाजपा ने 8वीं बार किया राम मंदिर, धारा 37० और यूनिफार्म सिविल कोड का वादा
जरा जानिये, भाजपा का बीता संकल्प पत्र कितना खरा
भाजपा ने बीते चुनाव में 346 वादे किये थ्ो। अब जब सरकार चुनाव में आ गयी है तो उसके पुराने वादों को कसौटी पर कसने की जरूरत है। इस बाबत जारी एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा ने बीते घोषणा पत्र में किये गये केवल 34 फीसद वादे ही पूरे किये। कृषि क्ष्ोत्र में किये गये 17 में से केवल 5 वादे ही पूरे किये गये। अर्थव्यवस्था के क्ष्ोत्र में किये गये 19 में से केवल 11 वादे ही पूरे किये गये। जबकि महिलाओं के संबंध में किये गये 2० में से 11 वादे पूरे हो पाये। वहीं अल्पसंख्यकों के बारे में 12 में से केवल 6 वादे ही पूरे हुये।
2०14 में किेये 346 वादे
काम पूरा – 117 वादों पर
काम जारी-19० वादों पर
कोई काम नहीं-39 वादों पर
राजेश श्रीवास्तव
नयी दिल्ली । कांग्रेस के छह दिन बाद भाजपा ने भी लोकसभा चुनाव के लिए अपना संकल्प पत्र जारी कर दिया। अपने संकल्प पत्र में भाजपा ने 8वीं बार राम मंदिर का वादा किया है। यही नहीं, धारा 37०, राष्ट्रवाद आदि पुराने मुद्दों की ही रट लगायी गयी है। भाजपा ने कांग्रेस के 72 हजार के बदले किसानों को पांच साल तक बिना ब्याज के लोन का ऑफर दिया है। इस घोषणा पत्र में पार्टी कुछ भी नया ऐलान नहीं कर सकी है। दिलचस्प तो यह है कि भारतीय जनता पार्टी ने अपनी बीती सरकार की पांच साल की उपलब्धियों के बारे में इसमें जिक्र भी नहीं किया है। नोटबंदी और जीएसटी का भी जिक्र नहीं है।
भाजपा ने 8वीं बार राम मंदिर का वादा किया है। पार्टी ने कहा है कि मंदिर निर्माण के लिए वह संवैधानिक दायरे में रहकर संभावनाएं तलाशेगी। भाजपा ने गरीब परिवारों को सालाना 72 हजार रुपए देने की कांग्रेस की न्याय योजना के जवाब में पेंशन का वादा किया है। भाजपा ने कहा है कि दोबारा सत्ता में आने पर वह छोटे किसानों और छोटे दुकानदारों को पेंशन देगी।
भाजपा का यह 1०वां लोकसभा चुनाव है। इनमें से 8 बार भाजपा ने राम मंदिर, यूनिफॉर्म सिविल कोड और अनुच्छेद 37० का जिक्र किया है। भाजपा ने पहला चुनाव 1984 में लड़ा था। उस वक्त के घोषणा पत्र में भाजपा ने सिर्फ जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-37० को हटाने की बात कही थी। इसके बाद भाजपा ने 1989 से लेकर 1998 तक लगातार चार लोकसभा चुनावों के घोषणा पत्र में तीनों मुद्दों को शामिल किया। हालांकि, 1999 के आम चुनाव में भाजपा के घोषणा पत्र से ये तीनों मुद्दे गायब रहे। इसी साल भाजपा ने 182 सीटें जीतीं और पहली बार 5 साल का कार्यकाल पूरा किया। हालांकि, 2००4 के घोषणापत्र में भाजपा ने फिर से तीनों मुद्दों को अपने घोषणापत्र में शामिल किया।
यह पहला मौका है जब भाजपा के घोषणा पत्र में ‘गाय’ का जिक्र नहीं है। इससे पहले 1984 से लेकर 2०14 तक अपने 9 चुनावी घोषणा पत्र में हर बार भाजपा ने गौरक्षा और गौसंवर्धन का जिक्र किया था। इनमें गौहत्या पर बैन लगाने से लेकर गौशालाओं के विकास के कई वादे शामिल रहे।
गौरतलब है कि 2०14 के घोषणापत्र को मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में तैयार किया गया था। इसके कवर पेज पर उस समय के सभी शीर्ष भाजपा नेताओं को जगह दी गई थी। भगवा रंग में रंगे कवर पेज पर कमल बना था और उसके नीचे पार्टी की विशेष टैग लाइन ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ लिखा हुआ था। उसके ठीक नीचे पतले अक्षरों में नरेंद्र मोदी की प्रिय वह विशेष लाइन लिखी थी जो पिछले पांच सालों में उनकी पहचान बन गई थी- ‘सबका साथ, सबका विकास’। अगर चेहरों की बात करें तो कवर पेज पर बड़ों को सम्मान और वर्तमान का साथ कवर पेज पर दिख जाता है। 52 पेज के पार्टी मेनिफ़ेस्टो के कवरपेज पर कमल निशान के बाएं ऊपर से नीचे के क्रम में अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिह और डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी को जगह दी गई थी। वहीं कवर पेज के नीचे सबसे बड़े चेहरे के रूप में मोदी दिख रहे थे तो उनके दाहिने अरुण जेटली, शिवराज सिह चौहान और वसुंधरा राजे सिधिया दिख रहे थे तो बायीं ओर सुषमा स्वराज, रमन सिह और मनोहर पर्रिकर थे। यानी भाजपा की पूरी वर्तमान पीढ़ी सामने थी। दूसरे पेज पर केवल पार्टी के संस्थापकों श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीन दयाल उपाध्याय को जगह देकर उन्हें सम्मान दिया गया था।
भाजपा का जोर राष्ट्र, इंफ्रास्ट्रक्चर और युवाओं पर तो कांग्रेस का शिक्षा, स्वास्थ्य पर
लोकसभा चुनाव से पहले दोनों राष्ट्रीय दलों ने अपना-अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है। भाजपा का घोषणापत्र 48 पेज का है, जबकि कांग्रेस का घोषणापत्र 55 पेज का है। भाजपा के घोषणापत्र में जहां विकास, किसान, इंफ्रास्ट्रक्टर, तकनीक जैसे शब्दों को तरजीह दी है, वहीं कांग्रेस ने शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे शब्दों का ज्यादा प्रयोग किया है। खास बात यह है कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में एक भी बार राम मंदिर और हिदू शब्द का इस्तेमाल नहीं किया। वहीं भाजपा ने राम मंदिर, हिदू और मुस्लिम तीनों शब्दों का जिक्र किया है। दोनों दलों के घोषणापत्र में नजर डालें तो भाजपा के घोषणा पत्र में सबसे ज्यादा नेशन यानी राष्ट्र शब्द का इस्तेमाल हुआ है। इससे पूरे संकल्प पत्र में 118 बार इस्तेमाल किया गया है। वहीं कांग्रेस ने इस शब्द को 96 बार इस्तेमाल किया है। वहीं विकास यानी डेवलपमेंट शब्द पर भाजपा ने सबसे ज्यादा जोर दिया है। इसे 8० बार इस्तेमाल किया गया है, वहीं कांग्रेस के घोषणापत्र में इस शब्द का जिक्र 24 बार है। सुरक्षा जैसे शब्द को लगभग दोनों ने ही बराबर इस्तेमाल किया है। किसान शब्द के इस्तेमाल में भाजपा को कांग्रेस पर बढ़त हासिल है। भाजपा ने जहां इसे 41 बार वहीं कांग्रेस ने 35 बार इस्तेमाल किया है। शिक्षा का जिक्र कांग्रेस के घोषणापत्र में 62 बार जबकि भाजपा के संकल्प पत्र में 41 बार आया है। भाजपा ने इंफ्रास्ट्रक्चर शब्द को 38 बार जबकि कांग्रेस ने 22 बार इस्तेमाल किया है। वहीं स्वास्थ्य जैसे शब्द पर कांग्रेस ने ज्यादा जोर दिया है। कांग्रेस के घोषणापत्र में इसका 47 बार इस्तेमाल किया है। भाजपा के संकल्प पत्र में इस शब्द का जिक्र 29 बार आता है। इसी तरह तकनीक शब्द को भाजपा ने 29 और कांग्रेस ने 25, एग्रीकल्चर को भाजपा ने 12 और कांग्रेस ने 19 बार इस्तेमाल किया। जहां तक युवाओं की बात है तो कांग्रेस ने महज छह बार इस शब्द का जिक्र किया है। वहीं भाजपा के संकल्प पत्र में यह शब्द 2० बार आया है। इकोनॉमी शब्द कांग्रेस ने 32, भाजपा ने 23 बार इस्तेमाल किया। इसी तरह रिफॉर्म शब्द का इस्तेमाल कांग्रेस ने 11, भाजपा ने 15 बार किया। रोजगार और नौकरियों जैसे मुद्दे पर भाजपा को घेरने वाली कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में इस शब्द को 61 बार इस्तेमाल किया है। वहीं भाजपा के संकल्प पत्र में यह शब्द कुल 24 बार आया है। विज्ञान जैसे शब्दों को कांग्रेस और भाजपा ने कम इस्तेमाल किया है। कांग्रेस ने जहां 13 वहीं भाजपा ने इसका 8 बार इस्तेमाल किया। राम मंदिर और हिदू जैसे शब्दों का जिक्र कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में एक भी बार नहीं किया है। वहीं भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में राम मंदिर का जिक्र 3, हिदू का एक और मुस्लिम शब्द का जिक्र दो बार किया है। खास बात यह है कि कांग्रेस ने मुस्लिम शब्द से परहेज रखा और महज एक बार ही इसका इस्तेमाल किया। वह भी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जिक्र में आया है। आतंकवाद जैसे मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए भाजपा ने 14 बार इसका इस्तेमाल किया। कांग्रेस के संकल्प पत्र में यह 1० बार आया है।