नई दिल्ली। पीयूष गोयल (Piyush goel) का बजट भाषण (Budget 2019) सुनने के बाद पूरे दिन चर्चा होती रही कि सरकार अपने सारे महत्वाकांक्षी चुनावी वादों के लिए पैसे कहां से लाएगी. सरकार की दरियादिली का लाभ जिन चार क्षेत्रों को मिलेगा, उनमें कृषि व ग्रामीण अर्थव्यवस्था, मध्यमवर्ग, रियल्टी व आवासीय क्षेत्र और असंगठित क्षेत्र हैं. सरकार को अब इन परियोजनाओं के लिए धन जुटाना है. आगामी चुनाव से पहले लोकलुभावन योजनाओं की झड़ी लगाने के बाद मोदी सरकार अपने बजटीय घाटे को संतुलित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आबीआई) और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के पास जाएगी.
बजट दस्तावेज के अनुसार, सरकार को बैंकों, वित्तीय संस्थानों और आरबीआई से लाभांश के जरिए 82,911 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है.
बजटीय अनुमान 52,500 करोड़ रुपये
चालू वित्त वर्ष में भी सरकार को 74,140 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है, जोकि 54,817 करोड़ रुपये के बजट आकलन से काफी अधिक है. वर्ष 2019-20 में पीएसयू लाभांश के रूप में 53,200 करोड़ रुपये हासिल करने का सरकार का लक्ष्य है. इस साल सरकार को हस्तांरित होने वाला लाभांश करीब 10,000 करोड़ रुपये होगा या बजटीय अनुमान 52,500 करोड़ रुपये का करीब 20 फीसदी होगा.
सूत्रों के अनुसार, हालांकि सरकार इनमें से कुछ कंपनियों पर उनको अपना शेयर वापस खरीदने का दबाव बना रही है, क्योंकि विनिवेश से प्राप्त होने वाला सरकार का राजस्व डगमगा गया है. सरकार सीपीएसई बायबैक के माध्यम से इस वित्त वर्ष में करीब 12,000 से 20,000 रुपये की रकम जुटा सकती है.
केंद्रीय बैंकों से आएंगे 28,000 करोड़
वित्तमंत्री द्वारा अंतरिम बजट (Interim budget) पेश करने के बाद आर्थिक मामले विभाग के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि सरकार अंतरिम लाभांश के रूप में केंद्रीय बैंक से 28,000 करोड़ रुपये प्राप्त करने की उम्मीद कर रही है. आरबीआई ने पिछले साल अगस्त में 40,000 करोड़ रुपये लाभांश का भुगतान किया था. अतिरिक्त मांग की जा रही है, क्योंकि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से प्राप्त राजस्व एक लाख करोड़ रुपये के मासिक लक्ष्य से बहुधा कम रहा है.
नियोजित बिक्री से 80,000 करोड़ जुटाएगी सरकार
इसके अतिरिक्त, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में सरकार द्वारा नियोजित बिक्री अब भी लक्ष्य से कम है, फिर भी वित्तमंत्री 80,000 करोड़ रुपये के अनुमान को पार करने को लेकर आश्वस्त हैं. ऐसे में सरकार इस कमी को पूरा करने के लिए आरबीआई पर निर्भर है, क्योंकि सरकार राजकोषीय घाटा के लक्ष्य को हासिल करने में लगातार दूसरे साल विफल रही है.
सरकार खासतौर से अपने अतिरिक्त खर्च को पूरा करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और आरबीआई के लाभांश का इस्तेमाल करती है. सरकार को 2019-20 में इस प्रकार का लाभांश 1.36 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जोकि 2018-19 में बढ़े हुए लाभांश संग्रह 1.19 लाख करोड़ से 14 फीसदी अधिक है.