सूरत। गुजरात के एक दंपति ने राफेल लड़ाकू विमान के थीम पर अपनी शादी का निमंत्रण कार्ड डिजाइन किया है, जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दंपति की प्रशंसा की. कार्ड के एक पेज पर राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के राजग सरकार के फैसले को सही ठहराया गया है. सूरत के दंपति युवराज पोखरना और उनकी होने वाली दुल्हन साक्षी अग्रवाल को लिखी चिट्ठी में मोदी ने कार्ड पर लिखी सामग्री को ‘‘सरल’’ बताया और कहा कि इसने उन्हें देश के लिए और भी मेहनत करने के लिए प्रेरित किया.
दंपति का विवाह 22 जनवरी को है. सोमवार को मीडिया से बातचीत करते हुये पोखरना ने कहा कि उन्हें मोदी जी का पत्र मिला है.
उस पत्र में मोदी ने लिखा, ‘‘युवराज और साक्षी की शादी की खुशी के अवसर पर पोखरना परिवार को हार्दिक बधाई. मेहमानों को भेजे गए शादी के निमंत्रण पत्र की एक अनूठी चीज पर मेरा ध्यान गया. इसकी सामग्री की सरलता राष्ट्र के प्रति आपकी चिंता और प्यार को दर्शाती है. इससे मुझे अपने देश के लिए और अधिक मेहनत करने की प्रेरणा मिलती है.’’ पत्र के अनुसार मोदी ने लिखा, ‘‘सुखी और समृद्ध जीवन के लिए दंपति को शुभकामनाएं और आशीर्वाद.’’
सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच घमासान
इस बीच राफेल सौदे को लेकर विपक्ष पर झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते दिनों कहा कि क्या वे लोग (विपक्ष) कॉरपोरेट प्रतिद्वंद्विता में प्यादे बन गये हैं और क्या 36 लड़ाकू विमानों की खरीद नाकाम की जा रही है. सीतारमण ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से रक्षा मंत्रालय के गलियारों से बिचौलियों को दूर रखने की सचेत कोशिश रही है.
उन्होंने कहा कि वह चाहती हैं कि अंतरराष्ट्रीय कॉरपोरेट प्रतिद्वंद्विता में शामिल हुए बगैर जितना हो सके इस बहस के हर पहलू को विस्तार से बताया जाए. रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार को लगातार धौंस जमाने के लिए, लोगों के बीच लगातार झूठ फैलाने के लिए और लोगों को गलत सूचना देने के लिए हम कॉरपोरेट के प्यादे नहीं बन सकते.
राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे में हर विमान की खरीद पहले की तुलना में 41. 42 प्रतिशत बढ़ने संबंधी एक अखबार की खबर के बाद रक्षा मंत्री ने विपक्षी दलों पर प्रहार किया. सीतारमण ने ‘राफेल सौदे के संदर्भ में भारत के सामरिक हित’ पर एक संगोष्ठी में कहा, ‘‘ क्या भारत का हित आपके एजेंडा में शीर्ष पर है या आप किसी तरह की कॉरपोरेट प्रतिद्वंद्विता में भागीदार बन रहे हैं. क्या आपका मकसद इस खरीद को नाकाम करने का है? यदि यह मकसद खरीद रोकने का है? तो फिर यह राष्ट्र का अहित है. ’’